टाटानगर स्टेशन से चूहे व खटमल खत्म करना चुनौती
चूहे व खटमल के आतंक से टाटानगर स्टेशन पर रेलकर्मी व यात्री परेशान हैं। चक्रधरपुर रेल मंडल सिर्फ टाटानगर में चूहे व खटमल मारने के लिए करीब प्रतिवर्ष सात लाख रुपये खर्च करता है, लेकिन चूहे खत्म नहीं हो...
चूहे व खटमल के आतंक से टाटानगर स्टेशन पर रेलकर्मी व यात्री परेशान हैं। चक्रधरपुर रेल मंडल सिर्फ टाटानगर में चूहे व खटमल मारने के लिए करीब प्रतिवर्ष सात लाख रुपये खर्च करता है, लेकिन चूहे खत्म नहीं हो रहे हैं। रेललाइन, स्टॉल व कार्यालयों में हर समय बड़े-बड़े चूहे दौड़ते हुए दिखते हैं। वहीं, खटमल के कारण यात्रियों का डोरमेट्री में सोना मुश्किल हो जाता है। इससे यात्रियों ने कई बार रात में आईआरसीटीसी के काउंटर व स्टेशन मास्टर कक्ष में हंगामा कर शिकायत भी दर्ज कराया है। सूचना के अनुसार 2013 में रेलवे ने पार्सल के क्लॉक रूम व रिटायरिंग में बकायदा बोर्ड लगाया था कि, यात्री चूहों से अपने सामान की रक्षा खुद करें।
दवा डालते सफाईकर्मी: टाटानगर स्टेशन के निजी सफाईकर्मी चूहों व खटमल मारने की दवा ब्रेड व बिस्किट के बुरादे में मिलाकर रेललाइन व विभिन्न कार्यालयों (बुकिंग, पार्सल, एसएम कक्ष एवं अन्य) में डालते हैं। इससे रोज 10-15 मरे हुए चूहे मिलते हैं। कई बार आलमारी के पीछे मरे चूहों के कारण कार्यालयों में बदबू के कारण बैठना दूभर होता है। जबकि, डोरमेट्री में खटमल मारने की दवा डालकर पलंग-गद्दे धूप में डाले जाते हैं। 2019 के मार्च-अप्रैल में सात बार यात्रियों ने सिर्फ खटमल के कारण हंगामा किया था।
सिस्टम भी कर चुके है ठप: पार्सल के क्लॉक रूम एवं रिटायरिंग में यात्रियों की सामान कुतरने के साथ चूहों ने कई बार रेलवे सिस्टम भी ठप किया है। टिकट केंद्र में नोट गिनने एवं जांच करने वाली मशीन का तार काटने के साथ चूहों ने ट्रेन सिग्नल का केबुल काट दिया था। प्लेटफॉर्म पर इंक्वायरी, टिकट बुकिंग, इलेक्ट्रोनिक्स आरक्षण चार्ट व कोच-ट्रेन डिसप्ले बोर्ड सिस्टम ठप कर चुके हैं।