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'रॉकेट' उड़ा रहे चक्रधरपुर रेल मंडल के लोको पायलट

कोरोना के संकट में चक्रधरपुर रेल मंडल के लोको पायलट रॉकेट उड़ा रहे हैं। यात्री ट्रेनों के लोको पायलट ट्रेन बंदी के दौरान चार ट्रेनों को जोड़ 2.8 किमी लंबा रॉकेट उड़ा रहे...

'रॉकेट' उड़ा रहे चक्रधरपुर रेल मंडल के लोको पायलट
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरFri, 03 Jul 2020 06:36 PM
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कोरोना के संकट में चक्रधरपुर रेल मंडल के लोको पायलट रॉकेट उड़ा रहे हैं। यात्री ट्रेनों के लोको पायलट ट्रेन बंदी के दौरान चार ट्रेनों को जोड़ 2.8 किमी लंबा रॉकेट उड़ा रहे हैं। चौंकिए मत हम आसमान में उड़ने वाले रॉकेट की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि रेलवे द्वारा यात्री ट्रेन के चालक और गार्ड की ड्यूटी नॉन स्टॉप पार्सल ट्रेन चलाने की लगायी है। चार ट्रेनों को जोड़ 2.8 किमी पार्सल ट्रेन का ठहराव काफी कम है और कई सौ किमी चलाने के बाद पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन को रोका जाता है। इसलिए इस ट्रेन का नाम रॉकेट ट्रेन दिया गया है।दपूरे के खड़गपुर रेल मंडल द्वारा तीन पार्सल ट्रेनों के रैक को एक साथ जोड़ शेषनाग फ्रेट ट्रेन एक जुलाई को चलाया गया था, जिसमें दो पार्सल ट्रेनों में लोहा-पत्थर लदे थे, जबकि एक पार्सल ट्रेन का रैक खाली था। तीनों ट्रेन को खड़गपुर रेल मंडल के नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन के पास जोड़ा गया था, जिसमें छह इंजन लगे थे। दो इंजन आगे थे, इसके बाद एक पार्सल ट्रेन के इंजन थे, इसके बाद उसके रैक और तीसरे पार्सल ट्रेन के इंजन को जोड़ा गया था और फिर उसके बोगी थे। शेषनाग फ्रेट ट्रेन नारायणगढ़ से खुलने के बाद खड़गपुर भद्रक सेक्शन में करीब डेढ़ सौ किमी तक तीन घंटे 35 मिनट में चली। यह लाइन ओडिशा के धामड़ा पोर्ट तक जाती है। चक्रधरपुर रेल मंडल में पहले भी दो मालगाड़ियों के रैक को जोड़ एक साथ चलाया जाता था, जिसे टाइगर ट्रेन नाम दिया गया है। यह रेल मंडल के बिमलगढ़ और डांगुवापोशी सेक्शन में चलता है।

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