Jharkhand Jamin Rajistri : झारखंड में घर-जमीन की रजिस्ट्री महंगी होगी, जानें अब आपके पॉकेट पर कितना बोझ बढ़ेगा 

झारखंड में घर-जमीन की खरीद-बिक्री महंगी होगी। झारखंड सरकार ने स्टांप ड्यूटी दो फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव नए सिरे से केंद्र सरकार को भेजा है। केंद्र की हरी झंडी के बाद स्टांप ड्यूटी परिसंपत्ति के मूल्य...

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Jharkhand Jamin Rajistri : झारखंड में घर-जमीन की रजिस्ट्री महंगी होगी, जानें अब आपके पॉकेट पर कितना बोझ बढ़ेगा 
Rupesh रांची मुकेश बालयोगी
Mon, 28 Sep 2020 5:37 PM

झारखंड में घर-जमीन की खरीद-बिक्री महंगी होगी। झारखंड सरकार ने स्टांप ड्यूटी दो फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव नए सिरे से केंद्र सरकार को भेजा है। केंद्र की हरी झंडी के बाद स्टांप ड्यूटी परिसंपत्ति के मूल्य की छह फीसदी हो जाएगी। फिलहाल यह चार फीसदी है।

स्टांप ड्यूटी बढ़ने के बाद 40 लाख के फ्लैट खरीद पर 80 हजार रुपए से ज्यादा के स्टांप लगेंगे। निबंधन के समय इसका भुगतान करना होगा। दूसरी तरह की परिसंपत्तिय़ों में भी सेल डीड के निबंधन की स्थिति में स्टांप ड्यूटी की राशि बढ़ जाएगी। मकान किराए की रजिस्ट्री के समय स्टांप ड्यूटी के कारण किराएदार का खर्च बढ़ जाएगा। पड़ोसी राज्य बिहार में यह अभी आठ फीसदी है।  

खाली खजाने को मिलेगी राहत : स्टांप ड्य़ूटी बढ़ने के बाद झारखंड के खाली खजाने को राहत मिलेगी। इससे सालाना कई सौ करोड़ अधिक मिलने की उम्मीद है। खस्ताहाल खजाने के संकट से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में कई कदम उठाए हैं। 50 लाख तक की संपत्ति के महिलाओं के नाम से केवल एक रुपए में रजिस्ट्री के रघुवर सरकार के फैसले को भी वापस ले लिया  गया है। खनिजों पर सेस समेत कई कदम उठाए गए हैं। राजस्व वसूली की स्थिति खराब होने के कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का भी बुरा हाल है।

2016 में रघुवर सरकार ने भी की थी कोशिश : रघुवर सरकार ने 2016 में स्टांप ड्यूटी दो फीसदी बढ़ाने की कोशिश की थी,जो परवान नहीं चढ़ सकी। इसके लिए बाजाप्ता झारखंड विधानसभा से वित्त विधेयक पारित कराकर केंद्र को भेजा गया था। केंद्र से इसे हरी झंडी नहीं मिल सकी। ज्ञात हो कि किसी भी वित्त विधेयक के लागू होने के लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है। केंद्र ने 2016 में तकनीकी खामियों की बात कहकर हरी झंडी नहीं दी थी। झारखंड सरकार ने नए सिरे से स्टांप ड्यूटी बढ़ाने का प्रस्ताव भेजकर मंजूरी का आग्रह किया है। विशेष परिस्थिति में सरकार विधेयक को संशोधन के साथ नए सिरे से पारित भी करा सकती है।

पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड में निबंधन कम : पड़ोसी राज्यों से अगर हम तुलना करें तो झारखंड में सेल डीड का निबंधन कम होता है। इसका बड़ा कारण प्रदेश में वन भूमि और सीएनटी तथा एसपीटी कानूनों के दायरे में आने वाली आदिवासी भूमि का बहुतायत में होना  है। इस कारण राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्टांप ड्य़ूटी बढ़ाने को लेकर सतर्कता बरती जाती रही है। लंबे अर्से से स्टांप ड्यूटी नहीं बढ़ने के कारण झारखंड में इसकी दर पड़ोसी राज्यों से काफी कम हो गई है।  

आगे ये हो सकता
केंद्र सरकार 2016 में ही पारित विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दे
केंद्र पहले पारित विधेयक में कुछ संशोधन के साथ नया प्रस्ताव मांगे
नए सिरे से विधेयक पारित कर मंजूरी मांगने के लिए कहे
केंद्र मंजूरी के लिए कुछ शर्त रखे और उसके अनुरूप प्रस्ताव मांगे 

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