कैलोरी में कटौती के बिना बेअसर है 'इंटरमिटेंट फास्टिंग'

वजन घटाने के लिए ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ की तकनीक पर अमल कर रहे हैं? अगर हां तो कैलोरी की खपत में कटौती किए बगैर ज्यादा फायदे की उम्मीद न करें। ‘जामा इंटरनल मेडिसिन’ में छपा एक...

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कैलोरी में कटौती के बिना बेअसर है 'इंटरमिटेंट फास्टिंग'
Manju Mamgain एजेंसी , लंदन
Wed, 30 Sep 2020 3:02 PM

वजन घटाने के लिए ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ की तकनीक पर अमल कर रहे हैं? अगर हां तो कैलोरी की खपत में कटौती किए बगैर ज्यादा फायदे की उम्मीद न करें। ‘जामा इंटरनल मेडिसिन’ में छपा एक अमेरिकी अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है। 

शोधकर्ताओं के मुताबिक ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ वजन, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाने का सबसे लोकप्रिय जरिया बनकर उभर रही है। इसके तहत व्यक्ति को आठ घंटे में तीनों पहर का खाना निपटाना होता है। उस पर कैलोरी की खपत को लेकर कोई बंदिश नहीं लगाई जाती है। आम आदमी से लेकर सेलेब्रिटी तक स्वस्थ रहने के लिए ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ का सहारा ले रहे हैं। हालांकि, ताजा अध्ययन में देखा गया है कि कैलोरी में कमी लाए बगैर यह ज्यादा असरदार नहीं।

डॉ. ईथन वेज के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 116 वयस्कों को दो समूह में बांटा। पहले समूह को दोपहर 12 से रात आठ बजे के बीच तीनों पहर का खाना खाने की सलाह दी। वहीं, दूसरे समूह के लिए खाने-पीने का कोई समय निर्धारित नहीं किया गया। दोनों ही समूह के प्रतिभागियों को अपने पसंदीदा पकवान का लुत्फ उठाने की छूट हासिल थी। 

12 हफ्ते बाद सभी प्रतिभागियों के वजन, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच की गई। इस दौरान ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ आजमाने वाले प्रतिभागियों के वजन में दूसरे समूह के मुकाबले कुछ खास कमी नहीं दिखी। इससे स्पष्ट है कि खाने में कैलोरी की मात्रा घटाए बगैर मोटापे पर काबू पाने का अरमान पालना बेकार है।

प्रोटीन की खुराक में कमी वजह-
‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ में दिनभर ऊर्जावान महसूस करने के लिए व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट का अधिक सेवन करता है
-इससे अनजाने में ही प्रोटीन की खुराक में कमी आती है, यह हड्डियों-मांसपेशियों में क्षरण का सबब बनती है

पर मांसपेशियों के लिए घातक-
-‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ में 65 फीसदी वजन मांसपेशियों में क्षरण की वजह से घटता है 
-यह आंकड़ा ‘कैलोरी-रिस्ट्रिक्टेड डाइट’ के मामले में 20 से 30 फीसदी के बीच मिला है 

14 से 20 घंटे व्रत रखने पर जोर-
-‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ के तहत कैलोरी में कटौती के बजाय खाने का समय निर्धारित कर उस पर सख्ती से अमल करने पर जोर दिया जाता है। विशेषज्ञ तीनों पहर का खाना चार से दस घंटे की समयसीमा में निपटाने की सलाह देते हैं। इस दौरान मनपसंद पकवान खाने पर कोई रोक नहीं होती। हालांकि, बाकी बचे 14 से 20 घंटों में भूख महसूस होने पर सिर्फ पानी पीने की इजाजत होती है।

तीन हफ्ते में ढलता है शरीर-
-इलिनॉयस यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया था कि ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ में प्रतिभागी मन मारे बगैर ही दैनिक खुराक में औसतन 550 कैलोरी की कमी लाने में सफल होते हैं। इससे शुरुआत में सिरदर्द, चक्कर, मिचली, कमजोरी और आंखों के सामने धुंधलापन छाने की शिकायत सता सकती है। हालांकि, तीन हफ्ते के भीतर ही शरीर खुद को नए डाइट प्लान के हिसाब से ढाल लेता है।

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