सरदार - अरे वो सांभा होली कब है?
ठाकुर ने धंधा चौपट कर दिया , रंगों की दुकान ही लगानी पड़ेगी कुछ तो मिलेगा
सांभा - सरदार आप हमेशा यही पूछते रहते हैं,
आखिर क्या चाहते हैं आप?
सरदार - अरे यार खाली बैठा हूं,
सोच रहा हूं, इस होली पर रंग की दुकान लगा लूं