घने पंखों वाली ऐसी मछली शायद ही कहीं देखने को मिली हो! जानते हो, इस प्यारी मछली का नाम क्या है? प्यारी-सी दिखने वाली इस मछली का नाम है बेट्टा। सुंदर पंखों की वजह से इस मछली को खास एक्वेरियम में रखा जाता है। यह बहुत ही छोटी और काफी खुशमिजाज होती है, जो खासकर छोटे टैंक के लिए ही बनी है। आमतौर पर यह मछली अकेले रहना ही पसंद करती है। यह अम्लीय पानी (पीएच 6.5 से 7) और हल्के गर्म पानी में रहना पसंद करती है। इसको ज्यादा ठंड पसंद नहीं है। इन मछलियों की पूंछों का आकार अलग-अलग होता है। किसी की पूंछ आधा चांद जैसी दिखती है, तो किसी की क्राउन टेल की तरह।
यह मूलत: दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थानीय मछली है और इसे चावल के खेतों में जमा पानी में पाया जाता है। थाईलैंड में इस मछली को प्लाकड के नाम से जाना जाता है और अकसर इसे वहां ‘द ज्वेल ऑफ द ओरिएंट’ कहा जाता है।
लाल, नीले, बैंगनी और सफेद रंगों की इन मछलियों को कंटेनर में चलते देखना बहुत ही सुंदर लगता है। इनका आकार 6 से 8 से.मी. तक होता है। इसे तुम एक छोटे से जार या कंटेनर में भी
रख सकते हो।
हालांकि देखने में ये
जितनी सुंदर होती हैं, उतना ही आक्रामक भी होती हैं। इसलिए एक ही कंटेनर में दो नर बेट्टा मछली को नहीं रखा जाता, क्योंकि ये आपस में लड़ती रहती हैं।
वैसे इनको अकेला रहना ही ज्यादा पसंद होता है।
18 हजार कप केक वाला अनोखा टावर
बेकरी की दुकान पर तुमने कुछ कप केक ही एक साथ देखे होंगे। लेकिन वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए चेन्नई में एक ऐसा टावर बनाया गया, जो कप केक से बना था। इस टावर में 18,818 कप केक का इस्तेमाल किया गया है। कप केक से तैयार इस टावर को सबसे लंबा टावर माना गया है और इसे गिनीज वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज भी किया गया। प्रिथी किचन एप्लाएंसेज कंपनी और फूड कॉन्सुलेट कंपनी ने मिलकर इसे बनाया है, जिसकी लंबाई लगभग 41 फीट थी। प्रिथी किचन एप्लाएंसेज कंपनी ने अपनी 40वीं वर्षगांठ को सेलिब्रेट करने के लिए इस टावर को बनाया, जिसे 42 घंटे में तैयार किया गया था। इससे पहले साउथ अफ्रीका की एक संस्था का यह रिकॉर्ड 35 फीट था, जो अब तोड़ दिया गया है। इसमें इस्तेमाल हर एक कप का वजन लगभग 70 ग्राम है।