दांतों से मनमानी नहीं चलेगी

‘मीठा खाओगे, दांत सड़ जाएंगे’, ‘ब्रश नहीं करोगे, तो बैक्टीरिया दांतों पर हमला बोल देंगे।’ अगर तुम्हें लगता है कि ये सारी बातें मम्मी सिर्फ तुम्हें डराने के लिए कहती हैं, तो ऐसा...

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दांतों से मनमानी नहीं चलेगी
Alakha किरण मिश्रा , नई दिल्ली
Thu, 4 Jul 2019 6:04 PM

‘मीठा खाओगे, दांत सड़ जाएंगे’, ‘ब्रश नहीं करोगे, तो बैक्टीरिया दांतों पर हमला बोल देंगे।’ अगर तुम्हें लगता है कि ये सारी बातें मम्मी सिर्फ तुम्हें डराने के लिए कहती हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अगर सच में तुम दांतों का ध्यान न रखो और अपनी मनमानी करते रहो, तो दांत बीमार हो जाएंगे और साथ में सेहत भी, कैसे? बता रही हैं किरण मिश्रा\


किसी दिन ब्रश न भी करें तो क्या हो जाएगा? खाने के बाद  कुल्ला करना, इतना जरूरी भी तो नहीं है! अगर रात में चॉकलेट खाकर सो भी जाएं, तो इससे क्या हो जाएगा? दांतों को लेकर कुछ ऐसी ही मनमानी तुम्हारी भी चलती होगी? पर शायद तुम्हें पता नहीं कि दांतों के प्रति ये लापरवाही तुम्हें बीमार भी बना सकती है। अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट की मानें तो जिन बच्चों की ओरल हेल्थ खराब होती है, वे सबसे ज्यादा स्कूल मिस करते हैं, स्वस्थ बच्चों की तुलना में। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में दांतों संबंधी समस्याओं की वजह से बच्चे हर साल अपने स्कूल के 51 मिलियन घंटे मिस कर देते हैं। 


तुम्हारे दांत कई मायनों में महत्वपूर्ण होते हैं। मजबूत व स्वस्थ दांत न सिर्फ खाद्य पदार्थों को चबाने में मदद करते हैं, बल्कि वे स्पष्ट रूप से बोलने में भी तुम्हारी मदद करते हैं। और हां, वे तुमको अच्छा दिखने में भी मदद करते हैं। यही नहीं, दांतों से तुम्हारी दिल की सेहत भी जुड़ी है। डॉक्टरों की मानें, तो दांतों की अच्छी देखभाल करना न केवल ओरल हेल्थ के लिए जरूरी  है, बल्कि सामान्य रूप से स्वास्थ्य के लिए भी यह जरूरी है। 


क्यों जरूरी है ब्रश करना
जब तुम कुछ भी खाते हो, तो उसके कुछ हिस्से दांतों के ऊपर या उनके बीच में चिपके रहे जाते हैं। यही परत के रूप में दांतों पर धीरे-धीरे जमते जाते हैं, जिसे डॉक्टर प्लैक (दांतों का मैल) कहते हैं। ऐसे में अगर सही तरीके से कुल्ला न करो या ब्रश न करो, तो इससे मुंह में बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका मिल जाता है।


तुम्हारे दांतों से चिपक कर ये बैक्टीरिया दांतों के इनेमल को खा जाते हैं, जिससे कैविटी होती है। इनेमल दांतों के ऊपर की एक पतली परत है, जो दांतों के लिए एक तरह से कवच ही है। प्लैक भी मसूढ़े की सूजन का कारण बनता है, जिसे जिन्जवाइटिस कहते हैं, जो मसूढ़ों की बीमारी है।   


 सोचो, अगर छोटी उम्र में ही तुम्हारे दांत खराब हो गए तो तुम अपना पसंदीदा फूड कैसे खा पाओगे? दांत खराब दिखेंगे, तो शायद तुम्हारे दोस्त भी चिढ़ाना शुरू कर दें। ये सब परेशानी तुम्हें न हो, इसलिए तो डॉक्टर अंकल रोजाना ब्रश करने की सलाह देते हैं। सही तरीके से रोजाना ब्रश करोगे तो दांत न सिर्फ चमकेंगे, बल्कि मुंह से बदबू भी नहीं आएगी।


जब भी खाओ, दांत साफ करो
चॉकलेट खाने के बाद अकसर मम्मी तुम्हें कुल्ला करने के लिए बोलती होंगी, या फिर रात में सोने से पहले भी ब्रश करने के लिए कहा जाता होगा। हर बार तुम कुछ-न-कुछ बहाना कर देते होगे। लेकिन डॉक्टर अंकल तो रोजाना दो बार ब्रश करने की सलाह देते हैं। पहला, सुबह नाश्ता करने से पहले और दूसरा,रात में खाना खाने के बाद। इसके अलावा कुछ भी खाने के बाद सही तरीके से कुल्ला करने के लिए भी बोला जाता है। कुछ भी खाने के बाद अगर तुम भी ब्रश करने या कुल्ला करने की आदत डाल लो, दांतों में कोई समस्या ही नहीं आएगी। और स्वस्थ दांत तुम्हारी मुस्कान को भी बनाए रखेंगे। 


ब्रश करने का तरीका पता है?
ब्रश करने का भी तरीका तुम्हें पता होना चाहिए।  सही तरीके से ब्रश नहीं करने से भी दांतों में कैविटी की समस्या होती है। दांतों को हमेशा मुलायम ब्रिसेल्स वाले ब्रश से हल्के दबाव से धीरे-धीरे साफ करो। ब्रश को सही तरीके से पकड़ो और हल्के हाथों से ब्रश को दांतों पर घुमाओ। घुमाने का क्रम ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की तरफ होना चाहिए। 


और हां, जीभ पर ब्रश मारना बिल्कुल भी मत भूलना। इसके बाद मुंह में पानी डालकर अच्छे से कुल्ला कर लो। इसी तरह उंगली से धीरे-धीरे मसूढ़ों की मालिश करो, इससे मसूढ़े मजबूत होते हैं। और हां, ज्यादा पेस्ट लेने की जरूरत नहीं है, बल्कि मूंगफली के दाने जितना पेस्ट लो। फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट तुम बच्चों के लिए बेहतर होता है। 


दांतों की फ्लॉसिंग भी करो
सिर्फ दांतों को ब्रश से साफ कर लेना ही काफी नहीं है, बल्कि फ्लॉसिंग भी करना जरूरी है। फ्लॉसिंग यानी दांतों के बीच में फंसे खाने को धागे से निकालना या साफ पानी से कुल्ला करना। चूंकि ब्रश दांतों के कुछ हिस्सों तक नहीं पहुंच पाता, ऐसे में फ्लॉसिंग तुम्हारे दांतों के बीच के क्षेत्रों से प्लैक को हटा देता है। डॉक्टरों के अनुसार तो 2-5 साल की उम्र से ही बच्चों को फ्लॉसिंग की आदत डाल लेनी चाहिए।

 

ताकि दांत बनें मजबूत

प्रोटीन युक्त अंडे
कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है, जो मजबूत, स्वस्थ दांतों का निर्माण और रखरखाव करता है। ऐसे में अंडे का सेवन तुम्हारे लिए बढ़िया रहेगा, क्योंकि यह कैल्शियम, प्रोटीन व विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है। अपने नाश्ते में नट्स और सीड्स शामिल कर सकते हो, क्योंकि इनमें मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स दांतों की मरम्मत करते हैं। कैल्शियम और फॉस्फोरस की उच्च मात्रा वाले फूड, जैसे बादाम, मूंगफली, काजू उन खनिजों की भरपाई करके दांतों की रक्षा कर सकते हैं। 


दूध, पनीर और दही
डेयरी प्रोडक्ट भी दांतों को मजबूती देते हैं और उनकी सुरक्षा करते हैं, जैसे दूध, पनीर और दही कैल्शियम, कैसिइन और फॉस्फोरस से भरपूर होते हैं, जो दांतों के इनेमल की रक्षा कर सकते हैं।  

ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां
ब्रोकली और हरे पत्तेदार सब्जियां भी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती हैं, जो दांतों के इनेमल को स्वस्थ रखती हैं। पालक और काले जैसे साग में पाया जाने वाला फोलिक एसिड दांतों और मसूढ़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए जाना जाता है। वैसे हरी सब्जियों से तुम दूर ही रहते होगे, मगर दांतों के लिए तो इन्हें खा ही सकते हो।

खट्टे फल और जूस
खट्टे फल विटामिन सी और पोषक तत्वों का एक मुख्य स्रोत हैं और ये कई मायनों में तुम्हारे लिए अच्छे भी हैं। हालांकि, अंगूर और नीबू विशेष रूप से अत्यधिक अम्लीय होते हैं और समय के साथ ये दांत की ऊपरी परत यानी इनेमल को नुकसान पहुंचाते हैं, इस बात का ध्यान रखना। अगर तुम पैक्ड जूस पीना पसंद करते हो, तो बाजार में मिलने वाले जूस में चीनी की मात्रा ज्यादा होती है। इससे भी तुम्हारे दांतों को नुकसान होता है। इसके अलावा कार्बोनेटेड शीतल पेय में मौजूद 

एसिड और चीनी दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। यहां तक कि चीनी मुक्त डाइट ड्रिंक भी एनेमल को क्षति पहुंचा सकते हैं, क्योंकि इनमें भी सोडा होता है। ऐसी चीजों का सेवन कम से कम करो, नहीं तो दांत हो जाएंगे खराब।

मीठी चीज कम खाओ

कभी सोचा है कि मम्मी-पापा ज्यादा चॉकलेट खाने से मना क्यों करते हैं? पूरे दिन चॉकलेट या कैंडी खाते रहने से दांतों को नुकसान होता है। ये भी कैविटी का कारण बन सकते हैं। दरअसल, मीठे के संपर्क में रहकर बैक्टीरिया मुंह में हमेशा सक्रिय रहते हैं और एक खास तरह का एसिड बनाते रहते हैं। यही एसिड कैविटीज, दांतों में दर्द और सांसों से संबंधित समस्याओं को बढ़ावा देता रहता है। इसलिए मीठे की इस लत को कम करो। यदि तुम्हें शक्कर वाले स्नैक्स लेने की आदत है, तो इन्हें खाने के बाद दांतों की सतहों और मसूढ़ों को साफ करना मत भूलना। अब बारी है चिप्स, ब्रेड और पास्ता की, जिन्हें तुम शायद सबसे ज्यादा पसंद करते होगे। जब भी मौका मिलता होगा, पास्ता की दावत जरूर होती होगी। सफेद आटे से बने स्टार्च वैसे तो सिंपल कार्बोहाइड्रेट होते हैं, मगर इनमें मौजूद स्टार्च भी दांतों पर असर डालते हैं। सफेद आटे से बने ब्रेड और पास्ता की बजाय गेहूं के आटे से तैयार पास्ता खाओ। इससे दांत भी हेल्दी रहते हैं।

अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मानें तो तुम बच्चों को हर छह महीने में डेंटिस्ट को अपने दांत दिखाते रहने चाहिए। डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सेंटर के अनुसार, 2-19 वर्ष की आयु के बीच के लगभग 20% बच्चों में कैविटीज का इलाज नहीं किया जाता है। समस्या गंभीर होने पर ही वे डॉक्टर के पास जाते हैं। 

एक स्वस्थ आहार के साथ नियमित दांतों की जांच कराना दांतों की कैविटी की समस्या से तुम्हें बचा सकता है। क्या तुम्हें पता है कि तुम बच्चे एक दिन में करीब 400 बार मुस्कराते हो। अगर यकीन नहीं होता तो फिर अभी से गिनना शुरू कर दो। अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन भी प्लैक को हटाने के लिए प्रति दिन कम से कम दो बार दांतों को ब्रश करने की सलाह देता है। 

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