कृषि कानूनों के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने अपने सदस्यों से कहा है कि वे दिल्ली के तीनों नगर निगम में अपने पदों से इस्तीफा दें। दिल्ली के नगर निगमों पर भाजपा का कब्जा है।
शिअद की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि पार्टी ने निकाय समेत किसी भी संगठन में भाजपा के साथ नाता नहीं रखने का निर्णय लिया है।
सोमवार को हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में भविष्य की कार्ययोजना पर निर्णय लिया गया। कालका ने कहा कि शिअद पार्षद मनप्रीत कौर ने दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की लाइसेंसिंग और तहबाजारी समिति के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
शिरोमणि अकाली दल और भाजपा मिलकर दिल्ली के निकाय और विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। कालका ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन में शिअद के नेता जिन पदों पर हैं उन्हें उससे इस्तीफा देना होगा। पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर राजनीतिक सफर में अकेले चलने का निर्णय किया है।
1998 से NDA का हिस्सा था अकाली दल, अलग होने से बढ़ी भाजपा की चुनौती
गौरतलब है कि किसान बिल को लेकर नाराज चल रही शिरोमणि अकाली दल ने NDA के साथ अपना नाता तोड़ लिया है। शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के बीच उस समय नाराजगी खुलकर सामने आ गई थी जब किसान बिल के विरोध में अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। एनडीए से अलग होने का फैसला अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की कोर कमेटी के साथ बैठक में लिया था। इस बैठक में पार्टी के कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद थे।
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने संसद में पेश किए गए कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में पिछले हफ्ते बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि थीं और अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी भी थी, लेकिन अब शिरोमणि अकाली दल ने एनडीएस ने नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ एनडीए के साथ लगभग 22 साल पुराना रिश्ता टूट गया है।
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