वीडियो स्पष्ट नहीं, बिना निगेटिव के फोटो... CBI कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी, बाबरी विध्वंस केस में फैसले की अहम बातें

बाबरी विध्वंस केस में आज 28 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया। छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 28 साल...

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वीडियो स्पष्ट नहीं, बिना निगेटिव के फोटो... CBI कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी, बाबरी विध्वंस केस में फैसले की अहम बातें
Shankar Pandit लाइव हिन्दुस्तान टीम , लखनऊ
Wed, 30 Sep 2020 1:03 PM

बाबरी विध्वंस केस में आज 28 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया। छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 28 साल पुराने मामले में सीबीआई जज सुरेंद्र कुमार यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, जोशी और उमा भारती समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि फोटो से किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है। वीडियो, फोटोकॉपी को जिस तरह से साबित किया गया, वे साक्ष्य सही नहीं हैं। बता दें कि बाबरी केस के 32 आरोपियों में से 26 कोर्ट में हाजिर हुए थे, जबकि लालकृष्ण आडवाणी, जोशी और उमा भारती समेत 6 लोग वर्चुअल तरीके से पेश हुए थे। मगर वे कोर्ट रूम में हाजिर नहीं हुए थे। 

फैसला सुनाते वक्त सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने बड़ी टिप्पणी की और कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी। मस्जिद को ढाए जाने की घटना आकस्मिक थी। सूत्रों के मुताबिक, कोर्ट ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना है।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के प्रबल साक्ष्य नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं, कैसेट्स को सील नहीं किया गया और फोटोज की निगेटिव नहीं पेश की गई। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं।कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था। बता दें कि किसी ने कोर्टरूम में किसी ने जय श्री राम के नारे भी लगाए।

वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह फैसला कानून और हाईकोर्ट दोनों के खिलाफ है। जफरयाब जीलानी ने कहा कि विध्वंस मामले में जो मुस्लिम पक्ष के लोग रहे हैं उनकी तरफ से हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि एलआईयू की रिपोर्ट में पहले से थी 6 दिसम्बर 1992 को अनहोनी की आशंका, लेकिन उसकी जांच नहीं की गई।

इधर, आरोपी पक्षों के वकील प्रशांत सिंह अटल का कहना है कि कोर्ट ने यह माना कि सीबीआई के द्वारा कोई भी आरोप पत्र में साक्ष्य नहीं जुटाया जा सका। फोटो के आधार पर किसी को भी आरोपी नहीं माना जा सकता है। वहीं आरोपियों के वकील मनीष त्रिपाठी का कहना है कि कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए। उनके द्वारा फैब्रिकेटेड वीडियो पेश किए गए, जो एविडेंस में नहीं शामिल किया जा सकते हैं। इसीलिए सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया गया है।

बरी होने वाले लोगों की पूरी लिस्ट, जो अभी जिंदा हैं
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण  सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश वर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष  दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण सिंह, कमलेश्वर त्रिपाठी, रामचंद्र, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, स्वामी साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर।

जो अब इस दुनिया में नहीं हैं
अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया,  विजयाराजे सिंधिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, डीबी राय (तत्कालीन एसएसपी), रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल।

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